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Diabetes Treatment (in hindi) – कैसे करें इसका सामना?

मधुमेह ऐसा रोग है जो जड़ से ख़त्म नहीं हो सकता, लेकिन नियंत्रण में रखा जा सकता है। क्रिती कालरा, 35 ने मधुमेह के निदान पर सही diabetes treatment (in hindi) के लिए हमारे डॉक्टर से जाँच कराया।

“मैं चिकित्सा करवाने में झिझक रही थी और मुझे कई लोगो ने घरेलु उपायों से diabetes treatment (in hindi) कराने की सलाह भी दी थी,” क्रिती ने कहा|

“परंतु जब उन तरकीबों से ज़्यादा फर्क नहीं पढ़ा, तब मैंने इंटरनेट पर सीताराम भरतिया के Diabetes Centre के बारे में पढ़ा और यहाँ से जाँच करवाने का सोचा।”

इस रोग का उचित इलाज करवाना ज़रूरी है| डॉक्टर ने क्रिती को जीवन शैली में बदलाव लाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें बताईं|

कैसे करें मधुमेह का इलाज (diabetes treatment in hindi)?

“अपने रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में कुछ बदलाव लाने से मधुमेह को क़ाबू में रखा जा सकता है| लेकिन यह आपकी स्थिति और मधुमेह के प्रकार पर निर्भर है,” डॉक्टर सिल्विया एैरीन, सीताराम भरतिया के Consultant Diabetologist ने समझाया|

  1. Type 1 और Type 2 मधुमेह

    Type 1 मधुमेह से पीड़ित लोगो के शरीर की पाचक-ग्रंथि (pancreas) कम उम्र से ही इन्सुलिन बनाना बंद कर देती है|

    Type 2 में ब्लड शुगर लेवल पर नहीं रह पाता क्योंकि आपके शरीर में इन्सुलिन उचित काम नहीं कर पाता

    इस वजह से आपको इन चीज़ों की ज़रुरत पड़ती है –

    – अन्य औषधी और दवा: कुछ दवाओं के इस्तेमाल से आपके शरीर में इन्सुलिन बनने में मदद मिलती है| मधुमेह संबंधित अन्य जटिलताओं का निवारण भी इन दवाओं से किया जाता है|

    मधुमेह के दवाओं का सेवन आपके ब्लड शुगर लेवल पर निर्भर करता है| इनका सेवन अपने डॉक्टर के जाँच के बाद ही करें|

    इन्सुलिन इंजेक्शन या पम्प: स्वस्थ जीवन-शैली के लिए आपको इन्सुलिन लेना बहुत ज़रूरी है|

    आपके ज़रूरतों के आधार पर आपको डॉक्टर इन्सुलिन देंगे, जो या तो दिन में तीन बार खाने के 15-20 मिनट पहले लेते हैं, या फिर दिन में एक बार लेना होगा|

    ऐसा भी होता है की कुछ type 2 मधुमेह से पीड़ित रोगिओं को इन्सुलिन की ज़रुरत नहीं भी पड़ सकती है|

    “आज कल पम्प और सुई के अलावा और भी नए किस्म के इन्सुलिन पेन मिलते हैं| डॉक्टर की सलाह से उचित तरीका अपनाएें|”

  2. प्रेगनेंसी के दौरान मधुमेह (gestational diabetes)

    गर्भावस्था के दौरान मधुमेह आपके शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है|

    24-28 हफ़्तों के बाद मधुमेह होने पर डॉक्टर आपको सख़्त निगरानी में रखेंगे| आम तौर पर gestational diabetes डिलीवरी के बाद ही ठीक हो जाता है|

    इस दौरान आपके कई मेडिकल जाँच होंगे, खास तौर पर आखरी तीन महीनों में| अपने और अपने शिशु की अच्छी सेहत के लिए डॉक्टर के सलाह से उचित टेस्ट और दवा लें|

    यदि जीवन शैली में बदलाव लाने से उपचार न मिले, तो आपको इन्सुलिन की ज़रुरत भी पड़ सकती है|

    “इस समय ब्लड शुगर नियंत्रण में रखना ज़रूरी है| डरिए मत – मधुमेह के होने पर आपकी डिलीवरी नॉर्मल और सुरक्षित तरीके से होगी|”

  3. प्री-डायबिटीज (pre-diabetes)

    “प्री-डायबिटीज (pre-diabetes) में आपके शरीर के ग्लूकोज़ लेवल साधारण मात्रा से अधिक होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की आपको मधुमेह हो|”

    इस स्टेज में सही समय से रहन-सहन में परिवर्तन लाने से ब्लड शुगर को संयम में लाया जा सकता है|

    इस स्टेज पर वज़न पर भी ध्यान रखना चाहिए| पौष्टिक आहार और उचित व्यायाम से मधुमेह पर निगरानी रखना आसान हो जाता है|

कैसे लाएं जीवन-शैली में बदलाव?

“अपने वज़न पर नियंत्रण रखना diabetes treatment (in hindi) का पहला कदम है|”

पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम के इस्तेमाल से वज़न पर नज़र रखें| ध्यान में रखें यह कुछ सुगर कंट्रोल के सरल तरीके और अपने कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर लेवल में सुधार लाएें –

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जाँच के बाद क्रिति को मधुमेह से लड़ने की हिम्मत मिली| क्रिति ने यह उपयोगी diabetes treatment (in hindi) टिप्स अपनाए और अपने ग्लूकोज़ लेवल पर असर पड़ता हुआ महसूस किया|

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