Dengue Symptoms in Hindi

डेंगू के लक्षण और 5 आसान होम – केयर टिप्स

साधारण बुखार और डेंगू के लक्षण में अंतर करना लगभग असंभव सा लगता है।

डेंगू  एक viral fever है जो मादा मच्छर के काटने से फैलता है और यह बुखार किसी भी आयुवर्ग को हो सकता है।

मच्छर के काटने के 4-7 दिन बाद डेंगू के लक्षण नज़र आते हैं।

“डेंगू बुखार होने पर रोगी एवं उसके परिवार के सदस्यों को घबराना नहीं चाहिए। नीम-हकीम इलाजों से बचे, अच्छे डॉक्टर से परामर्श ले और उनके सुझाव अनुसार रोगी की देखभाल करें” डॉ मयंक उप्पल,  Consultant, General Medicine कहते हैं।

“अगर आप सही मात्रा में पानी का सेवन कर रहे हैं और आपको हर 6 घंटे में पेशाब करने जाना पड़ता  है तो यह अच्छा संकेत है”

“पर अगर आपकी नज़र धुंधली हो या कही से रक्तस्राव हो तो उसे अनदेखा न करे और अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श करें।”

डेंगू के लक्षण इस प्रकार हैं:

  • तेज़ बुखार: डेंगू का सबसे प्रमुख लक्षण तेज़ बुखार है। डेंगू में 102-103º F तक बुखार आना आम बात है।
  • बदन टूटना: डेंगू में ज़्यादातर जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द होता है।
  • जी मिचलाना या नॉज़ीआ  (nausea) भी एक लक्षण है। डेंगू में आपको घबराहट महसूस होती है।
  • चकत्ते या रैशेस: डेंगू में छोटे लाल चकत्ते या रैशेस हो जाते है। इन रैशेस में कभी कभी खुजली भी होती है।
  • आँख के पीछे दर्द: ज़्यादातर डेंगू से पीड़ित लोग आँख के पीछे दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द आँखों की मूवमेंट से बढ़ता है।
  • थकान : डेंगू में थकावट महसूस होती है।

“अगर आपको मौसम बदलने के दौरान ख़ासकर बरसात के समय या उसके बाद तेज़ बुखार, चकत्ते और बदन दर्द होता है, तो डॉक्टर से परामर्श और मेडिकल जाँच कराए “

“जाँच के बाद ही पता चलेगा की आपको डेंगू हैं या नहीं।”

डेंगू के लक्षण

डेंगू में चेतावनी के संकेत (Warning signs of dengue in hindi)

डेंगू में चेतावनी के संकेत निम्नलिखित हैं:

  • पेट में दर्द
  • नाक या मसूड़ों से रक्तस्राव
  •  रैशेस का बढ़ना
  • चक्कर आना
  • नज़र का धुंधला होना

“अगर आपको इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें” डॉ मयंक ने समझाया।

डेंगू का उपचार (Treatment of Dengue in Hindi)

“डेंगू का उपचार डेंगू के लक्षण और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है” डॉ मयंक ने कहा।

Dengue test से बीमारी की गंभीरता का पता चलता है। इसमें आपके रक्त की जाँच होती है जिससे platelet count और ऐसे ही कई मापदंडों का पता चलता है।

“टेस्ट के मुताबिक और डॉक्टर के सुझाव अनुसार डेंगू का उपचार घर पर या हॉस्पिटल में हो सकता है।”

ज़्यादातर लोग घर पर ही सही आराम, अधिक से अधिक जल सेवन से और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं से ही ठीक हो जाते हैं।

डेंगू खुद ठीक होने वाली बीमारी है जो 7 से 10 दिन में ठीक हो जाती है।

अगर आपको डॉक्टर ने होम – केयर के लिए सलाह दी है तो इन पाँच बातों का ध्यान रखें:

1. बुखार के समाप्त होने के 48 घंटे बाद तक ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिए:

जब डेंगू बुखार उतर जाता है तो उसके  2-3 दिन बाद तक, शरीर की रक्त धमनियों से पानी का रिसाव होता है। इस कारण धमनियों में रक्त की मात्रा कम हो जाती है।    

डॉ मयंक ने इस बात पर ज़ोर दिया “बुखार समाप्त होने के 24-48 घंटे बाद तक, अधिक से अधिक जल का सेवन करें। इससे रक्त धमनियों में रक्त की मात्रा बढ़ेगी।”

डेंगू बुखार में रोगी के लिए तरल आहार का सेवन अत्यंत लाभकारी है।

उचित मात्रा में जल के सेवन से डेंगू के खतरे से बचा जा सकता है।

2. सुझाई गई दवाओं का सही मात्रा में सेवन करें:

अधिक मात्रा में दवा लेने से डेंगू जल्दी ठीक हो जाएगा यह एक मिथ्या है। ज़्यादा दवा लेने से दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।

“डॉक्टर के परामर्श से निर्धारित दवाओं को उचित मात्रा में और सही समय पर ले” डॉ मयंक सलाह देते हैं।

डेंगू बुखार में ibuprofen जैसी दवाओं का सेवन न करें , इस से रक्तस्त्राव का खतरा बढ़ सकता है।

3. नोट करें कि रोगी कितनी बार पेशाब करने जाता है:

यदि रोगी हर 6 घंटे में पेशाब करने जाता है तो इससे पता चलता है कि शरीर में पानी की कमी नहीं है।

यह एक अच्छा संकेत है।

अगर ऐसा नहीं होता तो ज़रूर अपने डॉक्टर से बात करें।

“पेशाब के रंग एवं मात्रा पर भी ध्यान देना चाहिए।” डॉ मयंक बताते हैं।

4. डेंगू की चमत्कारी दवाओं से दूर रहें:

डॉ मयंक ने चेतावनी देते हुए कहा “बाज़ार में कुछ ऐसे चमत्कारी दवाएँ हैं जो डेंगू रोग को समाप्त करने का दावा करती है पर इनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।”

“इनका सेवन न करें क्यूंकि वह विश्ववसनीय नहीं हैं।”

यह दवाई आपको लाभ पहुँचाने से ज़्यादा आपको नुक्सान पहुँचाने की क्षमता रखती हैं।

कुछ लोग पपीते की पत्तियों को डेंगू के उपचार में रामबाण मानते है। लेकिन वैज्ञानिक रूप से इसका कोई प्रमाण नहीं है।

5. रोगी की सुविधा अनुसार देखभाल:

रोगी के आराम का ध्यान रखते हुए ही, उसकी देखभाल करनी चाहिए।

डेंगू बुखार को कम करने के लिए रोगी को गीली पट्टी से स्नान कराए। यह शरीर के तापमान को कम करने में सहायक सिद्ध होता है।

“कमरे के तापमान को ठंडा रखने के लिए पंखा चलाए रखें।” डॉ मयंक सुझाव देते हैं।

कैसे पहचाना शालिनी ने डेंगू के लक्षण?

जब शालिनी को एकदम से तेज़ बुखार चढ़ा, उसने मौसम में हुई बदलाव को कारण समझा।

ऑफिस पहुँचते ही  शालिनी का बदन टूटने लगा और आँखों के पीछे दर्द मेहसूस हुआ, शालिनी समझ गई की यह साधारण बुखार नहीं हैं।

तुरंत ही ऑफिस से छुट्टी लेके, शालिनी डॉ मयंक के पास अपने जाँच कराने गई।

शालिनी की अवस्था को देखते हुई डॉ मयंक को डेंगू की सम्भावना लगी और शालिनी को रक्तजाँच कराने की सलाह दी।

रक्तजाँच में डेंगू का परिणाम निकला।

डॉ मयंक से परामर्श के बाद और घर पर अधिक से अधिक जल का सेवन करने से दस दिन में शालिनी बेहतर हो गई।

“डॉ मयंक से परामर्श करने के बाद और सही उपचार समझने के बाद, मुझे डेंगू को संभालने में मदद मिली” शालिनी कहती हैं।

यह लेख लिखने में डॉ मयंक उप्पल, जो Internal Medicine के क्षेत्र में expertise रखते हैं, ने अपना सहयोग दिया है |

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