hysterectomy meaning in hindi

Hysterectomy Meaning In Hindi – क्यों और कैसे किया जाता है हिस्टरेक्टमी ?

हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) एक सर्जरी है जिसमें गर्भाशय को शरीर से निकाल दिया जाता है | यह एक आम क्रिया है जिसको प्रजनन प्रणाली में होने वाली कुछ बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है |

“जब दवाइयाँ और बाकी नॉन-सर्जिकल उपाय बीमारी से राहत दिलाने में नाकामयाब हो जाते है केवल तभी डॉक्टर्स हिस्टरेक्टमी का सुझाव देते है” ऐसा कहना है डॉ अनीता सभरवाल आनंद का जो सीताराम भरतिया की अनुभवी Obstetrician – Gynecologist हैं |

क्योंकि हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) में गर्भाशय को निकाल दिया जाता है, इस क्रिया को कराने के बाद माँ बनना नामुमकिन हो जाता है | इसीलिए इस क्रिया की सलाह सिर्फ उन महिलाओं को दी जाती हैं जिन्हें भविष्य में माँ बनने की इच्छा नहीं होती या जिनके लिए बच्चेदानी का न निकलवाना जानलेवा हो सकता है |

किन मामलों में हिस्टरेक्टमी (Hysterectomy surgery) कराना पर सकता है ?

हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) एक मेजर ऑपरेशन है जो एक औरत के प्रजनन करने की क्षमता पर भारी असर डालती है | इसीलिए यह क्रिया सिर्फ कुछ ही परिस्तिथियों में की जाती है |

निम्नलिखित है कुछ बीमारियाँ जिनमें हिस्टरेक्टमी की सलाह दी जाती है –  

  • प्रजनन प्रणाली के किसी अंग में कैंसर होना या कैंसर होने के चान्सेस होना (ovarian, uterine or cervical cancer)
  • प्रोलैप्स जिसमे गर्भाशय अपनी जगह से काफी नीचे आ गया हो (uterine prolapse)
  • एन्डोमीट्रीओसिस (जो काफी कष्टदाई हो गई हो)
  • गर्भाशय में रसौली होना (uterine fibroids)
  • गर्भाशय से असामान्य रक्त निकलना (abnormal uterine bleeding)
  • श्रोणि में पीड़ा जो लम्बे समय तक चल रही हो

हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) के कितने प्रकार होते है ?

हिस्टरेक्टमी के चार प्रकार होते है जो प्रजनन प्रणाली का कौन सा अंग निकाला जा रहा है, उसपर निर्भर करता है |

यह चार प्रकार है –

  1. टोटल हिस्टरेक्टमी – इस प्रकार के हिस्टरेक्टमी में पूरे गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को निकाला जाता है | यह सबसे ज़्यादा की जाने वाली क्रिया है |
  2. सबटोटल या पार्श्यल हिस्टरेक्टमी – इस क्रिया में बच्चेदानी (womb) के प्रमुख हिस्से को निकाला जाता है परन्तु गर्भाशय ग्रीवा को नहीं छेड़ा जाता |
  3. टोटल हिस्टरेक्टमी के साथ सैल्पिंगो – यूफ़ोरेक्टमी : इस प्रक्रिया में गर्भाशय और ग्रीवा के साथ-साथ गर्भाशय नाल और अण्डाशयो को भी निकाल दिया जाता है |
  4. रैडिकल हिस्टरेक्टमी – रैडिकल हिस्टरेक्टमी में गर्भाशय और उसके आस-पास की कोशिकाएँ, गर्भाशय नाल, योनि का कुछ हिस्सा, aur अंडाशय को निकाला जाता है | “इस क्रिया का सुझाव कैंसर होने पर दिया जाता है |”

परन्तु कैसे पता चलता है कि कौनसा हिस्टरेक्टमी (hysterectomy operation meaning in hindi) किसके लिए उचित होगा ?

“किस प्रकार का हिस्टरेक्टमी करना उचित होगा ऑपरेशन के कारण पर काफ़ी निर्भर करता है | यह भी ध्यान रखना होता है कि प्रजनन प्रणाली के कितने अंगों को हम सुरक्षित रख सकते है ताकि उनको हटाना ना पड़े” डॉ. अनीता ने कहाँ |

हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) करने के कितने तरीके होते है ?

हिस्टरेक्टमी करने के भी तीन रास्ते होते है | वे है –

  1. एब्डोमिनल हिस्टरेक्टमी (Abdominal hysterectomy)
  2. लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टमी (Laparoscopic hysterectomy)
  3. वजाइनल हिस्टरेक्टमी (Vaginal hysterectomy)

आएँ इनके बारे में विस्तार से जानते है |

एब्डोमिनल हिस्टरेक्टमी

एब्डोमिनल हिस्टरेक्टमी एक शल्य क्रिया है जिसमें पेट में एक बड़ा काट बनाया जाता है और इसके द्वारा गर्भाशय को निकाला जाता है |

“इस क्रिया के बाद अपने रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में वापस लौटने में कुछ वक़्त लगता है |

लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टमी (Key-Hole surgery)

इस क्रिया में पेट में कम से कम काट किए जाते है |

डॉ. अनीता कहतीं हैं – “लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टमी में हम पेट के निचले हिस्से में एक छोटा सा काट (1 cm) करते है जिससे एक छोटी ट्यूब जैसे लैप्रोस्कोप को अंदर डाला जाता है | इस लैप्रोस्कोप में एक कैमरा लगा होता है जो हम को श्रोणि के सभी अंगों को साफ़-साफ़ देखने में मदद करता है |”

“उसके बाद हम दो-तीन छोटे काट और करते है जिनमें से हम सर्जरी के उपकरणों को डालते है और ऑपरेशन करते है |”

लेकिन सोचने वाली बात यह है कि गर्भाशय को इन छोटे छोटे काटों से कैसे निकाला जा सकता है?

“ऑपरेशन के वक़्त गर्भाशय के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते है जिनको फिर योनि के द्वारा निकाला जाता है क्योंकि योनि की कैविटी उन छोटे काटों से काफ़ी बड़ी होती है” ऐसा डॉ. अनीता का कहना है |

लैप्रोसोपिक हिस्टरेक्टमी (hysterectomy surgery) कराने के फायदे

यह काफ़ी सुरक्षित क्रिया होती है जिसमें न्यूनतम ख़तरा होता है | कम से कम काट किए जाने के कारण इस क्रिया में काफ़ी कम दर्द होता है और इन्फेक्शन का खतरा भी न्यूनतम होता है |

और तो और यह क्रिया कराने के बाद मरीज़ जल्दी घर भी जा सकते है |

डॉ. अनीता कहती है – “लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टमी के बाद आपको एक या दो दिनों के लिए हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है |”

वजाइनल हिस्टरेक्टमी (No-Hole surgery)

इस क्रिया में पेट में कोई काट ना करके गर्भाशय को योनि के द्वारा निकाला जाता है |

डॉ. अनीता कहती है – “वजाइनल हिस्टरेक्टमी में हम योनि के ऊपरी हिस्से में एक काट करते है जिसके द्वारा हम गर्भाशय को अंडाशयों से और गर्भाशय नाल से अलग करके उसी काट से गर्भाशय को निकाल देते है |”

यह क्रिया कई बार सक्षम सर्जन के लिए संभव होता है | हालांकि ज़्यादातर इसे प्रोलैप्स के संदर्भ में ही सुझाया जाता है |

वजाइनल हिस्टरेक्टमी कराने के फायदे

यह प्रक्रिया कराने के बाद मरीज़ का हॉस्पिटल में केवल एक या दो दिनों के लिए ठहराव होता है और यह प्रक्रिया लगभग दर्दरहित होती है |

“आपको केवल एक-दो दिनों के लिए हॉस्पिटल में रखा जाएगा और पूरी तरह से ठीक होने के लिए आपको सिर्फ दो से तीन हफ्ते लगेंगे |”

हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) कराने के बाद कैसे रखे अपना ख्याल ?

गर्भाशय निकालने के बाद आपको पेट के निचले हिस्से में थोड़ा सा दर्द और तकलीफ़ महसूस हो सकती है | “एक या दो हफ्तों तक आपके योनि से हल्का सा रक्त और डिस्चार्ज निकल सकता है | यह बिलकुल घबराने वाली बात नहीं है |”

इसके साथ-साथ आपको थकावट और कॉन्स्टिपेशन जैसी परेशानियाँ भी आ सकती है परन्तु यह सही से अपना ख्याल रखने पर धीरे-धीरे कम भी हो जाती है |

डॉ. अनीता कहतीं हैं – “हिस्टरेक्टमी कराने के पष्चात आपको भावात्मक परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है | गर्भाशय को निकाल देना किसी भी महिला के लिए एक मेजर बदलाव होता है जिससे उन्हें जूझने में परेशानी हो सकती है | ऐसे समय में अपनों का साथ इस चीज़ से बहार निकलने में मदद करता है |”

हिस्टरेक्टमी कराने के बाद आप निम्नलिखित उपाय अपनाके राहत पा सकते है –

  • अपने रोज़मर्रा के काम करते रहिए | खाली आराम ना करे |
  • भारी चीज़ें ना उठाए
  • रोज़ हल्का व्यायाम करे जैसे की स्ट्रेचिंग
  • अधिकतर फाइबर वाला खाना खाएं ताकि आपको कब्ज़ी न हो
  • कोशिश करे कि आप ज़्यादा तनाव ना लें और अपने शरीर में होने वाले बदलावों को खुलेदिल से अपनाएँ
  • वजाइनल हिस्टरेक्टमी कराने के बाद कुछ दिन यौन-संबंध करने से परहेज़ करें

हिस्टरेक्टमी (hysterectomy meaning in hindi) के बाद ज़िन्दगी – कंगना माथुर की कहानी  

कंगना माथुर (55) का गर्भाशय अपनी जगह से काफ़ी नीचे उतर गया था जिससे उन्हें हर वक़्त दिक्क्त महसूस होता था | कई दवाइयों और व्यायाम के बाद भी उनको एक सामान्य जीवन जीने में काफ़ी परेशानी होती थी | प्रोलैप्स के कारण उन्हें कभी कभी पेशाब ठीक से नहीं निकलता था और कई बार उनका पेशाब निकल भी जाता था जिससे उन्हें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता था |

इन सब चीज़ों को ध्यान में रख कर डॉ. अनीता ने उनको वजाइनल हिस्टरेक्टमी कराने का सुझाव दिया |

पहले तो सर्जरी का नाम सुन कर कंगना काफ़ी घबरा गई थी परन्तु डॉ. अनीता के विस्तार से समझाने पर उन्होंने हिम्मत जुटाई और हिस्टरेक्टमी कराने का फैसला किया |

वजाइनल हिस्टरेक्टमी के बाद कंगना को काफ़ी राहत मिली | उनके लक्ष्ण लगभग गायब हो गए और वह दुबारा एक स्वस्थ जीवन जीने लगीं |

“हिस्टरेक्टमी का सुनकर मैं घबरा ज़रूर गई थी लेकिन अपने डॉक्टर की सहायता से मैं आगे बढ़ी | गर्भाशय ना होना एक खालीपन ज़रूर लाया परन्तु सही देखभाल और अपने पति और बच्चों के समर्थन से मुझे इससे जूझने में आसानी हुई” ऐसा कंगना का कहना था |

क्या आपके मन में हिस्टरेक्टमी से सम्बंधित सवाल हैं ? हमारे हॉस्पिटल आएं और अपने इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें। परामर्श के लिए हमें +919871001458 कॉल करें।

यह लेख डॉ अनीता सभरवाल आनंद के सहायता से लिखा गया है। डॉ. अनीता जानी-मानी स्त्री रोग विशेषयज्ञ है जो अपने आशावादी स्वाभाव के लिए जानी जाती है।

Medically Reviewed by Dr. Anita Sabherwal Anand

MBBS, Lady Hardinge Medical College, University of Delhi (1992); MD (Obstetrics & Gynaecology), Lady Hardinge Medical College, University of Delhi (1997); DNB Secondary (Obstetrics & Gynaecology), National Board of Medical Education, New Delhi (1999)

START TYPING AND PRESS ENTER TO SEARCH