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क्या है Amniotic fluid (meaning in hindi) ? जाने यहाँ|

गर्भावस्था के दौरान, शिशु माँ के गर्भ में थैली (amniotic sac) में पलता है जहाँ उसे हर वो पोषण मिलता है जो  उसके विकास के लिए ज़रूरी है| वह थैली एक तरल पदार्थ  से भरी होता है, जिसे गर्भोदक या एमनियोटिक फ्लूइड (amniotic fluid meaning in hindi) कहते है| इस पदार्थ का होना शिशु के पालन के लिए बहुत ज़रूरी होता है| 

“जैसे जैसे आपकी गर्भावस्था में विकास होता है, वैसे वैसे एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा में परिवर्तन होता है,” ऐसा कहती है डॉ अनीता सभरवाल आनंद, सीताराम भारतिया हॉस्पिटल, दक्षिण दिल्ली की जानी मानी गयनेकोलॉजिस्ट| “यदि यह तरल पदार्थ उस महिला की तिमाही के अनुसार कम हो, तो इस स्थिति को Oligohydramnios (oligohydramnios meaning) कहते  है|”

37 Weeks में कम एमनियोटिक फ्लूइड (Low Amniotic Fluid at 37 weeks)

रीना मल्होत्रा 37 weeks में कुछ ऐसी परिस्थिति में हमारे डॉक्टर से मिलने आई|

घबराती हुई उन्होंने बताया, “ मुझे अल्ट्रासॉउन्ड  वालो ने कहा कि मेरे शिशु को खतरा है क्यूंकि मेरा एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर कम हैं।  मैंने जब अपनी गयनेकोलॉजिस्ट से सलाह ली , तो उन्होंने भी कुछ ऐसा कहा। पर मुझे नजाने ऐसे क्यों लगा कि मुझे एक दूसरी सलाह ले लेनी चाहिए ।”

रीना कि रिपोर्ट और शिशु के विकास को देखकर डॉ अनीता को कोई चिंता करने की बात नहीं लगी ।

“जब बच्चा गर्भ में एकदम स्वस्थ हो तब एमनियोटिक पदार्थ का कम स्तर ज़्यादा मायने नहीं रखता,” समझाया   डॉ अनीता ने | 

रीना के सारे सवालों को  डॉ अनीता ने बड़ी ही शन्ति से सुने और जवाब दिए|

“ पदार्थ के स्तर गिरने का क्या कारण है?” (Causes of Oligohydramnios)

तीसरी तिमाही में –  32 weeks, 35, weeks, 37 weeks –  में कम एमनियोटिक पदार्थ अक्सर देखा जाता है, अगर शिशु का विकास सही है और माँ को कोई मेडिकल समस्या जैसे उच्च रक्तचाप, आदि नहीं है तो यह चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए |

कभी कभी पहली या दूसरी तिमाही में एमनियोटिक पदार्थ के कम स्तर कि वजह आनुवंशिक विकार (congenital anomaly) हो सकते है। उसी तरह अगर गर्भावस्था के शुरुआती दौर में कम पदार्थ हो, तो वह शिशु के बढ़ाव के लिए घातक हो सकता है। 

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नियमित जाँच और अल्ट्रासॉउन्ड द्वारा एमनियोटिक पदार्थ के कम स्तर का पता लगाया जाता है|

रीना ने ध्यानपूर्वक सब सुना और पूछा,

“कम एमनियोटिक फ्लूइड को बढ़ा कैसे सकते है?” (How to increase amniotic fluid)

इस स्तिथि में सुधार लाने के लिए आपको केवल ज़्यादा पानी पीने की ज़रुरत है।  रीना यह सुनकर आश्चर्यचकित हुई। उन्होंने डॉ अनीता से और तरकीब पूछें । डॉक्टर ने उनको मुस्कुराते हुए कहा ” हाँ, 10 -12 ग्लास प्रतिदिन पीने से एमनियोटिक फ्लूइड बढ़ जाता है। आप नारियल पानी और निम्बू पानी जैसे पदार्थ का भी सेवन कर सकती है।”

रीना को यह बातें सुनकर तस्सली तो हुई , लेकिन उनके मन में अभी एक आखरी सवाल था।  उन्होंने हिम्मत जुटाकर डॉक्टर को बताया कि वह पूरे नौ महीने नॉर्मल डिलिवरी के लिए प्रयास कर रही थी।  तो उन्हें जानना  बहुत ज़रूरी था की,

क्या कम एमनियोटिक फ्लूइड परिस्तिथी में सिज़ेरियन ही आखरी उपाय है ?

“अगर आपके शिशु के विकास में कोई बाधा न दिखे , तो आप एमनियोटिक फ्लूइड बढ़ा के प्रसव पीढ़ा के शुरु होने का इंतज़ार कर सकती है, इस दौरान आपको साप्ताहिक जाँच की आवश्यकता होगी ताकि आप अपने शिशु की सेहत पर नज़र रख सकें| ” डॉ अनीता कहती है|    

इसका मतलब यह है की सिज़ेरियन की सलाह सिर्फ गिने चुने मामलों में दी जाती है जहाँ किसी प्रकार की को जटिलता नज़र आए |

उन्होंने डॉ अनीता से दोबारा नॉर्मल डिलिवरी होने की पुष्टि कि, क्यूंकि उनको किसी और डॉक्टर ने उसके बारे में इंकार कर दिया था।  डॉ अनीता ने उनको विश्वास दिलाया कि वह नॉर्मल डिलिवरी की पूरी कोशिश करेंगी।   

यह सुनकर रीना के  सीने से जैसे बोझ हट गया | 

” मैंने चैन की सांस ली| और डॉ अनीता की निगरानी में ही आगे बढ़ना ठीक समझा,” रीना ने कहा | 

उन्होंने डॉ की सलाह से ज़्यादा मात्रा में पानी का सेवन किया। इससे उनका एमनियोटिक फ्लूइड बढ़ गया |

रीना ने 39 weeks में जा कर नॉर्मल डिलीवरी द्वारा अपने लड़के को जन्म दिया |

निष्कर्ष

यह तरीके हर महिला की स्थिति पर निर्भर करते है| ज़रूरी नहीं की रीना को बताई गई सलाह आपके लिए भी सही हो इसीलिए आज ही हमारे गयनेकोलॉजिस्ट के साथ अपॉइंटमेंट बुक करें और अनुभव करें एक व्यक्ति आधारित इलाज (personalised treatment) का|

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